चीटियां
आइए चीटियों के बारे में कुछ साधारण और रोचक बातें जान लेते हैं।
1. दुनिया भर में चींटियों की 12,000 से अधिक प्रजातियां हैं।
2. चींटी अपने शरीर के वजन का 20 गुना भार उठा सकती है। 3. कुछ रानी चींटियां कई सालों तक जीवित रह सकती हैं और उनके लाखों बच्चे होते हैं।
4. चींटियों के कान नहीं होते। वे अपने पैरों के माध्यम से जमीन में कंपन महसूस करती है।
5. रानी चींटियों के पंख होते हैं।
6. चींटियों के फेफड़े नहीं होते। ऑक्सीजन पूरे शरीर में छोटे छिद्रों के माध्यम से प्रवेश करता है और कार्बन डाइऑक्साइड एक ही छेद के माध्यम से निकलता है।
7 जब कॉलोनी की रानी की मृत्यु हो जाती है तो कॉलोनी केवल कुछ महीनों तक जीवित रह सकती है। क्योंकि रानी चींटी की शायद ही कोई उत्तराधिकारी दूसरी रानी होती है। श्रमिक चिटियां पुनरूत्पादन करने में असक्षम होती हैं ।
8 यद्यपि चीटिंयां आपको आपके घर में आकर परेशान करती
हैं। लेकिन चीटिंया पर्यावरण की मदद करती हैं। वे सामाजिक कीड़े हैं जिसका अर्थ है कि वे बड़ी कॉलोनियों या समूहों में रहते हैं। प्रजातियों के आधार पर, चींटी कॉलोनियों में लाखों की संख्या में चींटियां हो सकती हैं।
9. एक कॉलोनी में तीन प्रकार की चीटिंयां हैं:- रानी, महिला श्रमिक और नर । रानी और नर चिटी के पंख होते हैं जबकि श्रमिकों के पंख नहीं होते हैं। रानी एकमात्र ऐसी चींटी है जो अंडे दे सकती है। पुरुष चींटी का काम भविष्य की रानी चींटियों के साथ रहकर संबंध बनाना है लेकिन नर चींटी बहुत लंबे समय तक जीवित नहीं रहती हैं। एक बार जब रानी वयस्क होती है तो वह अपने जीवन के बाकी हिस्सों में अंडे देती रहती है। प्रजातियों के आधार पर, एक कॉलोनी में एक रानी या कई रानी हो सकती हैं।
10. चींटी कॉलोनियों में सैनिक चींटियां भी होती हैं जो रानी की रक्षा करती हैं, कॉलोनी की रक्षा करती हैं, भोजन इकट्ठा करती हैं या भोजन बनने वाले कीड़ों को मारती हैं और भोजन व घोंसले वाले स्थान की तलाश में शत्रु कॉलोनियों पर हमला करती हैं। यदि वे किसी दूसरे चींटी कॉलोनी को हराते हैं तो वे पराजित चींटी कॉलोनी के अंडे ले जाते हैं। कॉलोनी में कुछ चीटियां अंडे और बच्चों की देखभाल करती है तो कुछ कॉलोनी के लिए भोजन इकट्ठा करना और मिट्टी के टीले का निर्माण करती है जो कि उनका घर होता है।
11. लाल और काली चींटियां - लाल चीटिंयां या अग्नि चीटिंयां अनोखी होती हैं क्योंकि अन्य चींटियों के विपरीत वे अपने मुँह से काटती हैं और फिर वे विषाक्त पदार्थों को अपने शिकार या एक इंसान में छोड़ देती हैं। यह विषाक्त पदार्थ और कुछ नहीं बल्कि फार्मिक अम्ल होता है। काटने की जगह पर आग की तरह जलन का अनुभव होता है। इसलिए इन्हें अग्नि या फायर चींटी कहते हैं। काली चींटियों की तुलना में लाल चींटियां अधिक आक्रामक होती हैं और हाल के वर्षों में इन्हे कुछ छोटे जानवरों जैसे छोटे पक्षी , छिपकली और मेढको की संख्या में गिरावट के लिए आंशिक रूप से दोषी ठहराया गया है। लाल चींटियों को जमीन में पाया जा सकता है और आप इन्हे एक बड़े टीले की कॉलोनी में भी देख सकते हैं।
12. काली चींटियां कम ही काटती हैं। जब आप उनके रास्ते में आ जाओ । काली चींटियां काटने पर घाव पर कम मात्रा में फार्मिक एसिड स्प्रे करेंगी लेकिन यह लाल चींटी के जहर जितना बुरा नहीं होता। काली चीटिंयाँ स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं होती लेकिन वे बहुत अधिक उपद्रवी होती हैं। काली चींटियां पेड़ों और लकड़ी में घोंसला बना लेती हैं। हम उन्हें अपने घर में भी पा सकते हैं। लाल चींटियों के विपरीत, काली चींटियां आक्रामक नहीं होती हैं। जब तक उनको आपसे कोई खतरा महसूस नहीं होता, तब तक वह इंसान को नहीं काटती ।
13. भारत में लगभग 828 चींटी की प्रजातियाँ ज्ञात हैं। फिर भी हमारे आसपास के परिसर में आमतौर पर काली और लाल चीटिंयां पायी जाती हैं। आमतौर पर हम छोटी काली चींटियों को देखते हैं जो कि अधिकतर इंसानों को काटती नहीं लेकिन परेशान बहुत करती है।
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