गधा और सियार
एक दिन गधे को एक सियार मिला। दोनों में दोस्ती हो गई। हर रात वे चुपके से मिलते और खाने की खोज में निकल पड़ते । एक रात वे खीरों के एक खेत में पहुँचे। वहाँ ताजे रसदार खीरे लगे थे। दोनों झटपट खीरे खाने में लग गए। जब उनका पेट भर गया तो गधे ने कहा-मित्र, आसमान में चांद चमक रहा, ठंडी हवा चल रही है।
आज मैं बहुत खुश हूँ। मैं एक गीत गाना चाहता हूँ। सियार ने कहा - मित्र, ऐसा न करना। तुम्हारी आवाज से किसान जाग जाएगा और हम कठिनाई में पड़ जाएंगे। पर गधे ने उसकी बात न मानी और बोला - तुम मेरी मधुर आवाज से जलते हो।
अब सियार ने कहा - ठीक है, यदि तुम गीत गाना चाहते हो तो गाओ पर मुझे यहां से जाने दो। यह कहकर सियार खेत से निकलकर चला गया। गधा जोर से रेंकने लगा। किसान ने रेंकना सुना तो वह परिवार सहित लाठियां लेकर आ गया और गधे की खूब पिटाई की। पिटाई से दुखता तथा सूजा हुआ बदन लेकर गधा खेत से भागा।
जब वह सियार के पास पहुँचा तो उसने क्षमा मांगते हुए कहा- क्षमा करना मित्र, पर मुझे तुम्हारी बात सुन लेनी चाहिए थी।
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